Prakash Book Depot, Bareilly— Views and News
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7.3.25
Spark for Success
30.1.25
Sainya Manovigyan (सैन्य मनोविज्ञान)
Military Psychology
Yuddh ke Sambandh mein Vigyan aur Praudyogiki (युद्ध के संबंध में विज्ञान और प्रौद्योगिकी)
Science and Technology in Relation to Warfare
मानवरहित विमान या ड्रोन
भारतीय प्रक्षेपास्त्र इतिहास
पनडुब्बी
विमानवाहक पोत : एक परिचय
अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और भारत
सैन्य मामलों में क्रान्ति
विद्युत-चुम्बकीय युद्धकला
साइबर युद्ध और कम्प्यूटर का युद्ध में प्रयोग
रासायनिक एवं जीवाणु हथियार
बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (रक्षा) : अवधारणा और अनुप्रयोग
परमाणु हथियार/अणु बम का अनुप्रयोग और उसका प्रभाव
नाभिकीय (परमाणु) हथियारों का विकास और उनकी विशेषताएँ
रक्षा अनुसंधान एवं विकास और भारत में रक्षा उत्पादन
भारत के रक्षा उद्योग
संदर्भ ग्रंथ सूची
28.1.25
Readings into TRANSLATION: Theory and Indian Literary Texts
by
Ruchi Agarwal
for UG—Semester 4, according to the new syllabus prescribed by M.J.P. Rohilkhand University, based on National Education Policy (NEP 2020)
Contents include
19.1.25
हमास - इजरायल युद्ध 2023-24 के नवीन सामरिक आयाम (Hamas-Israel War)
लेखक :
विष्णु कान्त शर्मा
अशोक कुमार शर्मा
ISBN 978-93-91984-77-9
Hardbound
Price: Rs. 975.00
pp.: 272
फिलिस्तीन के आतंकवादी संगठन हमास ने गाजा में सीमा तोड़कर 07 अक्टूबर, 2023 को इजरायल पर अचानक हमला किया। फिलिस्तीन ने दुनिया के सबसे मजबूत डिफेन्स सिस्टम वाले इजरायल पर लगभग 5000 राकेट दागे। आतंकवादियों ने सैनिकों, महिलाओं, बच्चों एवं वृद्धों के साथ इतनी बर्बरता की कि उसका वर्णन शब्दों में संभव नहीं। हमास की इस बर्बरता के कारण पश्चिम एशिया युद्ध का दंश झेल रहा है। प्रस्तुत पुस्तक इन्हीं तमाम पहलुओं व नवीन समरिकी पर प्रकाश डालने का प्रयास है।
डाॅ. विष्णुकान्त शर्मा, जन्म 28
दिसम्बर, 1958, बिलौआ
जिला ग्वालियर मध्यप्रदेश। शिक्षा—एम.एस-सी. (सैन्य विज्ञान) जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर, पी-एच.डी.
(रक्षा अध्ययन), पं. रवि
शंकर शुक्ल विश्वविद्यालय,
रायपुर, एल.एल.बी.
जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर।
सैन्य विज्ञान विषय की स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर की पुस्तकों के लेखक, जिनमें
‘‘एन.सी.सी. परिचय एवं प्रशिक्षण’’ प्रकाश बुक डिपो, बरेली,
1991, ‘‘रासायनिक युद्ध की तकनीक’’ मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रन्थ अकादमी, भोपाल, 1994, ‘‘एन.सी.सी.
कैडेट्स मिलिट्री ट्रेनिंग’’ प्रकाश बुक डिपो, बरेली, 1994, ‘‘कारगिल
संघर्ष और उसके बाद’’, प्रकाश
बुक डिपो, बरेली, 2005, ‘‘ग्वालियर एवं
पश्चिमी बुन्देलखण्ड के दुर्ग एवं गढ़ियाँ’’ प्रकाश बुक डिपो, बरेली, 2013, ‘‘महारानी
लक्ष्मीबाई का सैन्य नेतृत्व’’ प्रकाश बुक डिपो, बरेली, 2017,
‘‘आतंकवाद एवं आन्तरिक सुरक्षा’’ प्रकाश बुक डिपो, बरेली,
2019, प्रकाश बुक डिपो,
बरेली, ‘‘भारत-नेपाल
संबंध’’ प्रतीक्षा पब्लिकेशन्स,
जयपुर, 2019, ‘‘सूचना
का अधिकार अधिनियम 2005’’ प्रकाश
बुक डिपो, बरेली, 2021, ‘‘भारत का सैन्य इतिहास’’ मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रन्थ अकादमी,
भोपाल,
2022, “पश्चिमी
एशिया, भारत
एवं संयुक्त राष्ट्र’’ प्रकाश बुक डिपो, बरेली, 2022, ‘‘सैन्य विज्ञान
के आधारभूत तत्व’’ मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रन्थ अकादमी, भोपाल,
2022, “1857 का स्वतंत्रा संग्राम एवं बाबू कुंअर सिंह’’ प्रकाश बुक डिपो, बरेली, 2024 , तथा “हमास-इजरायल युद्ध 2023-24 के नवीन सामरिक आयाम’’ प्रकाश
बुक डिपो, बरेली, 2025 , हैं। राष्ट्रीय शोध
संगोष्ठियों में अनेक शोध पत्र प्रस्तुत। दो दर्जन से अधिक शोध पत्र प्रकाशित।
जरनल आॅफ एकेडेमिक सोसायटी आॅफ डिफेन्स स्टडीज, रायपुर के संस्थापक सदस्य एवं सम्पादक। मार्गदर्शन में 14 शोध छात्रों को
पी-एच.डी. की उपाधि अवार्ड। मार्गदर्शन में 3
पी-एच.डी. के छात्र शोधरत्। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा प्रायोजित 3 शोध प्रोजेक्ट
पर कार्य किया। एक शोध प्रोजेक्ट पर कार्यरत। रक्षा अध्ययन, इतिहास एवं
सामाजिक विज्ञान की अनेक संस्थाओं के आजीवन सदस्य। एन.सी.सी. के पूर्व कमीशन
प्राप्त अधिकारी। आकाशवाणी पर वार्ताओं का प्रसारण। अनेक लघु कथाओं एवं कविताओं का
प्रकाशन। संस्कार भारती,
मध्य भारत ग्वालियर द्वारा इतिहास एवं पुरातत्व में शोधपरक लेखन के लिए जुलाई 2009 में कला गुरु
सम्मान से सम्मानित। 1980
से मध्यप्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में सैन्य विज्ञान/रक्षा अध्ययन विषय
का सतत् अध्यापन। यथा, एम.जे.एस.
शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय,
भिण्ड, शासकीय
आदर्श विज्ञान महाविद्यालय,
रायपुर (अब छत्तीसगढ़),
शासकीय स्नातक महाविद्यालय,
आलमपुर एवं शासकीय आदर्श विज्ञान महाविद्यालय, ग्वालियर में पदस्थ रहे। वर्तमान में प्राध्यापक एवं
अध्यक्ष, सैन्य
विज्ञान, शोध एवं
स्नातकोत्तर विभाग, महारानी
लक्ष्मीबाई शासकीय स्वशासी (उत्कृष्ट) महाविद्यालय, ग्वालियर में पदस्थ रहे।
डाॅ. अशोक कुमार शर्मा —जन्म 15 अक्टूबर 1966, भोपाल (मध्य प्रदेश )।
प्रो 0 अशोक
कुमार शर्मा (मकसूदन माहराज ),
शासकीय मोतीलाल विज्ञान स्नातकोत्तर महाविद्यालय, भोपाल में, रक्षा एवं
कूटनीतिक अध्ययन विभाग में प्राध्यापक के पद पर कार्यरत हैं व वर्तमान में
क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक,
उच्च शिक्षा, भोपाल
नर्मदापुरम संभाग
भोपाल में संलग्न हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति चेतना, युवाओं में
राष्ट्रहित की भावनाओं के संचार के साथ ही सामाजिक समरसता व आध्यात्मिकता हेतु
विचारक व ओजस्वी वक्ता ,
प्रोफेसर शर्मा श्रीमद भागवद महापुराण,
श्री रामकथा और अंक ज्योतिष के माध्यम से भी लगातार काम कर रहे हैं। अपने छात्र जीवन
में ही डॉ शर्मा
ने युवा वर्ग के लिए साप्ताहिक समाचार “तरुण क्षितिज”
का सम्पादन किया है। दैनिक अखबार में राजनीतिक संवाददाता भी रहे हैं। डाॅ. विष्णु
कान्त शर्मा द्वारा लिखित पुस्तक “1857 का स्वतंत्रा संग्राम एवं बाबू कुंअर सिंह’’
प्रकाश बुक डिपो, बरेली, 2024 के संपादक। प्रोफेसर शर्मा का 34 वर्षों का अध्यापाक
अनुभव, राष्ट्रीय
संगोष्ठियों/ webinar/ कार्य
शालाओं में भाग लेने के साठ ही,
शोधपत्रों तथा लेखों के प्रकाशन,
शोध पत्रिकाओं में हो चुके हैं।
विषय सूची
आमुख
परिशिष्ट-2
19.7.24
Readings into BRITISH and AMERICAN DRAMA
by
Ruchi Agarwal
for UG—Semester 3, according to the new syllabus prescribed by M.J.P. Rohilkhand University, based on National Education Policy (NEP 2020)
Contents include
1.7.24
एक अकेला पहिया
(नवगीत-संग्रह)
ISBN 978-93-91984-75-5
Price: Rs. 250.00
pp.: 112
साहित्य-जगत में डॉ अवनीश सिंह चौहान एक प्रतिष्ठित नवगीतकार हैं। वे हिन्दी और अंग्रेजी भाषाओं के प्रख्यात लेखक और इन दोनों भाषाओं की आभासी दुनिया और प्रिंट मीडिया के जागरूक संपादक हैं। डॉ अवनीश सिंह चौहान आभासी दुनिया में नवगीत की स्थापना करने वाले उन्नायकों में अग्रपांत रहे हैं। यद्यपि आपका नवगीतीय अवदान बहुत अधिक नहीं है, किंतु जो है उसकी सुगंध देश की सीमाओं से बाहर निकलकर वैश्विक हो गई है — विश्व स्तर पर आपके हिन्दी और अंग्रेजी भाषी पाठकों की संख्या लाखों में है।
'अकेला होना' और 'अकेले चलना' दो अलग-अलग स्थितियाँ हैं। 'अकेला होना' मनुष्य की बाध्यता या विकलता का सूचक हो सकता है, जबकि 'अकेला चलना' मनुष्य का चुनाव है। 'अकेला चलना' एक कला है— भोगी के लिए भी और योगी के लिए भी। लौकिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए मनुष्य को अकेले ही अपने कर्तव्यपथ पर चलना होता हैं, क्योंकि कर्तव्य ही उसे आगे बढ़ने की शक्ति प्रदान करता है और विषम परिस्थिति आने पर पथविचलित होने से उसकी रक्षा करता है— "कर्तव्येन कर्ताभि रक्षयते" (महाभारत, भीष्म पर्व, 58.27)। 'एक अकेला पहिया' की रचनाएँ मनुष्य की इसी लौकिक और आध्यात्मिक यात्रा का वृतांत रचने का एक लघु प्रयास हैं।