Strategic Manoeuvring and Counter-Manoeuvring in Asia
लेखक : अशोक कुमार सिंह
ISBN 978-93-91984-14-4
Hardbound
Price: Rs. 750.00
pp.: 176
जब तक राष्ट्रों में प्रासंगिक और
शक्तिशाली बने रहने की लालसा बनी रहेगी तब तक कूटनीति और रणनीति का खेल चलता
रहेगा। बिना चाकू लगाये किसी राष्ट्र का गला काट देना ही सफल कूटनीति का पहला
सूत्र है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि घात ही वैश्विक राष्ट्रों के राष्ट्रीय
जीवन में कूटनीति की सफलता का सार बना हुआ है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने आज
राष्ट्रों को ऐसे तिराहे पर खड़ा कर दिया है जहाँ रक्तरंजित युद्धों का दौर लगभग
आखिरी सांसें ले रहा है। अब इस घात के प्रतिघात में भविष्य के युद्ध सैनिकों और
सेनापतियों द्वारा नहीं बल्कि हैकरों और ब्लागरों द्वारा लड़े जायेंगे जो सेकेण्डों
में राष्ट्रों की अभेद्य मानी जाने वाली व्यवस्था को धराशायी कर देंगे। यही कारण
है कि राष्ट्र आज भू-रणनीति और भू-अर्थशास्त्र को अपनी कूटनीति और रक्षा नीति में
बेहद महत्वपूर्ण मानने लगे हैं।
आज विश्व तेजी से बहुध्रुवीयता की
ओर बढ़ रहा है। विदेशनीति भू रणनीति के इर्द-गिर्द घूम रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति
वाइडन जोश में आकर रूसी राष्ट्रपति पुतिन को हत्यारा कहने से नहीं चूकते, लेकिन होश आते
ही वैश्विक रणनीति में प्रतिघात से दुश्मन को ठिकाने लगाने का ख्याल आता है तो
सीधे पुतिन से मिलने का आमंत्रण भेज देते हैं। यही कूटनीति का चरित्र है। चीन का
एशिया और यूरोप में बढ़ता प्रभाव और शक्ति अमेरिका के लिए असह्य हो रही है। इसी को
ध्यान में रखकर अमेरिका ने रूस और चीन को घेरे रखने की रणनीति बनाई हुई है।
यह निर्विवाद सत्य है, जैसा कि
विस्मार्क ने भी स्वीकार किया है कि जो देश सावधानीपूर्वक अंतर्राष्ट्रीय राजनीति
के प्रांगण में दूर से आते घोड़े के पदचाप को सुनने की क्षमता नहीं रखेगा वह अतीत
का इतिहास बन जायेगा। अपने राष्ट्रीय हितों के लिए आज जो आपका दोस्त है कल वही दुश्मन
बनने में देर नहीं लगायेगा। भारतीय उपमहाद्वीप के विगत सात दशकों के घटनाक्रम इस
सच्चाई के ज्वलंत प्रमाण हैं। ‘दोस्त बदल सकते हैं पड़ोसी नहीं’—यह सत्य आज
गम्भीरता से समझा जाने लगा है। सोशल मीडिया की भूमिका भी आज ऐसी है कि एक छोटी सी
खबर को तूफान बनाने और राष्ट्रों को म्यान से तलवार निकालने में देर नहीं लगती।
एशिया में धरती से सागर तक और सागर
से अंतरिक्ष तक संतुलन बनाने के लिए भारत महाशक्तियों की प्राथमिकता बना हुआ है।
हिंद महासागर से हिन्द प्रशान्त और दक्षिण चीन सागर तक भारत की भूमिका को अनदेखा
करना असम्भव है। पाकिस्तान आज चीन के जाल में पूरी तरह फँस चुका है जिससे निकल
पाना सम्भव नहीं दिखाई दे रहा है।
एशिया में रक्षा प्रौद्योगिकी से सज्जित राष्ट्रों की बढ़ती प्रतिस्पर्धा, उसकी स्वार्थ से अभिप्रेरित रणनीति, प्रतिघात, कलह और सुलह से इस महाद्वीप को तकनीकी युद्ध की दहलीज पर लाकर खड़ा कर दिया है।
एशिया में संघर्ष, चिकन गेम और गन
बोट डिप्लोमेसी
गैर
परम्परागत सुरक्षा में स्वास्थ्य चुनौतियाँ
वैश्विक
महासागरों में युद्धनीतिक महत्व के संकलन बिन्दु
दक्षिण
चीन सागर में सामरिक गुरुत्वाकर्षण के आयाम
21वीं सदी
का हिन्द महासागर और बढ़ता शक्ति संघर्ष
हिन्द
प्रशान्त में भविष्य का युद्धनीतिक वर्णक्रम
रणनीतिक
स्वायत्ता में सुरक्षा का वैकल्पिक मार्ग
दक्षिण
एशिया का रक्षा परिदृश्य और सुरक्षा प्रबन्धन
रणनीतिक रक्षा एवं सुरक्षा
एशिया
में राष्ट्रीय सुरक्षा का थियेटर कमाण्ड और रक्षा का स्ट्राइक कोर
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