प्रशासनिक टोटके
व्यावहारिक पैंतरे
राजनैतिक चोंचले
आधुनिक लटके
अनुभवी टुकड़े
व्यावहारिक पैंतरे
राजनैतिक चोंचले
आधुनिक लटके
अनुभवी टुकड़े
लेखिका : सरन माहेश्वरी
ISBN 81-7977-138-5
Paperback
Price: Rs. 250 .00
pp.: 500
पुस्तक ऐसी चाहिए, सबके हित में होए।
पढ़ने से शिक्षा मिले, नीरस कहे न कोए।।
- आधुनिक जीवन का ग्रन्थ—प्रत्येक घर के लिए उतना ही आवश्यक जितनी गीता, बाइबिल और कुरान—बदलते समय की नब्ज को टटोले एवं अनुभव और व्यवहार के आधार पर आधुनिकता के साथ सामंजस्य बिठाये—प्रत्येक आयु वर्ग के लिए आवश्यक।
- तपती दुपहरी में घर के भीतर आती जम्हाई को इस पुस्तक से मिटाया जा सकता है और अपना व्यर्थ होता समय बाँधा जा सकता है। यात्राओं में, इस पुस्तक को डायरी की तरह झोले में डाल कर ले जाया जा सकता है और रेल के स्टेशनों, बस स्टापों पर इन्तजारी की घड़ियाँ काटी जा सकती हैं। उबासी भरते किशोर बच्चों को भी यह पुस्तक कुछ न कुछ मसाला देती है।
- यह पुस्तक बैठक की मेज पर—रेलवे टाइम टेबल या टेलीफोन डायरेक्टरी की तरह रखी जा सकती है, अखबार और पत्र-पत्रिकाओं के स्थान पर पड़ी जा सकती है। मामूली पढ़े-लिखे स्त्री-पुरुष भी इसे पढ़ सकते हैं और उसमें से अपने काम की चीजें निकाल सकते हैं।
इसी पुस्तक से ..
- ज्यादा फूँ-फाँ करने की आवश्यकता नहीं है। ज्यादा सख्ती से बगावत की सम्भावना है, पर इतने भी नरम न बनो कि निचोड़ लिए जाओ। मध्यम मार्ग सब दृष्टि से उत्तम है।
- यह काम ”मैंने किया“, ऐसा नहीं बोलना चाहिए। ”मैं“ की जगह ”हम“ शब्द का प्रयोग करना चाहिए। यह काम ”हमने किया“ ऐसा कहना चाहिए।
- याद है कुछ कि वक्त पैदायश/ सब हँसते थे और तू रोता/ ऐसी रहनी रहो कि मरते वक्त/सब रोते रहें और तू हँसता।
- असलियत यह है कि अपने हित या स्वार्थ के लिए हम दूसरे के द्वारा अपनायी गयी शार्टकट प्रक्रिया को नहीं स्वीकार कर पाते। डाक्टर यदि मरीज को देखकर एकदम शीघ्रता से ठीक दवा लिखकर विदा कर देता है तो हम उसे लोभी और जल्दबाज की उपाधियाँ दे बैठते हैं। दूसरे के घर जाकर हम अधिक सुविधा चाहते हैं, और अपने घर आये मेहमानों को सुविधाएँ देने से कतराते हैं। शार्टकट की क्षुद्र विचारधारा के कारण ही साड़ी की जगह नाइटी और सूट की जगह सादा कपड़ा रूमाल दे दिया करते हैं पर ससुराल जाकर सूट की सिलाई तक वसूल करने की इच्छा रखते हैं।
- प्रचलन में कभी-कभी उल्टे मुहावरे आ जाते हैं—मेज के नीचे दी गयी राशि को ऊपर की कमाई बताते हैं।
- मित्र सहयोगी और सहायक जीवन में जरूरी है किन्तु उनमें से किसी को भी चमचा न बनने दीजिए। चमचा रखना और चमचा होना एक कला के दो रूप हैं। चमचा चमचा रहे, सिर पर न चढ़े, सहायक सहायक रहे।
- पक्षघात घट रहा है—पक्षपात बढ़ रहा है/ मलेरिया घट रहा है—मल-एरिया बढ़ रहा है/ चेचक मिट रही है—चक चक बढ़ रही है/ वजन बढ़ रहा है—खुराक घट रही है।
- एक चम्मच टमाटर के जूस में दो बूँदे नीबू जूस की मिलाकर चेहरे, गरदन और बाजुओं पर लगाइए, पन्द्रह मिनट तक लगाये रखिए, झुर्रियाँ दूर हो जाएँगी।
- यदि काँच के गिलास एक दूसरे में फँस जाएँ तो अन्दर वाले गिलास में ठंडा पानी डालिए—फिर उन्हें गरम पानी में डुबोएँ, गिलास आसानी से अलग हो जाएँगे।
- दिन के अन्त में दूध पिए/रात के अन्त में जल पिए/ हर भोजन के अन्त में मट्ठा पिए/ फिर वैद्य की क्या आवश्यकता है।
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