लेखक :
विष्णु कान्त शर्मा
अशोक कुमार शर्मा
ISBN 978-93-91984-53-3
Hardbound
Price: Rs. 650.00
pp.: 184
भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857-58 में लड़ा गया था। अंग्रेज इतिहासकारों ने इसे सिपाही विद्रोह अथवा गदर का नाम दिया है, किन्तु वास्तव में यह सिपाही विद्रोह अथवा गदर न होकर भारतीय स्वाधीनता का प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम था, जिसका मुख्य उद्देश्य था-अंग्रेजों को देश से बाहर निकाला जाय तथा भारत को स्वतंत्र किया जाय।
स्वातन्त्रय संघर्ष के दौरान ब्रिटिश सेनाओं से हुए अनेक संग्रामों में बाबू कुंअर सिंह ने अपने कुशल नेतृत्व, सामरिक योग्यता एवं श्रेष्ठ युद्ध कौशल का प्रदर्शन किया था। इस पुस्तक का उद्देश्य बाबू कुंअर सिंह द्वारा लड़े गये संग्रामों का तथ्यात्मक विश्लेषण एवं मूल्यांकन करके उनकी सामरिक छवि को उजागर करना है।
डाॅ. विष्णुकान्त शर्मा, जन्म 28 दिसम्बर, 1958, बिलौआ जिला ग्वालियर मध्यप्रदेश। शिक्षा—एम.एस-सी. (सैन्य विज्ञान) जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर, पी-एच.डी. (रक्षा अध्ययन), पं. रवि शंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर, एल.एल.बी. जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर। सैन्य विज्ञान विषय की स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर की पुस्तकों के लेखक, जिनमें ‘‘एन.सी.सी. परिचय एवं प्रशिक्षण’’ प्रकाश बुक डिपो, बरेली, 1991, ‘‘रासायनिक युद्ध की तकनीक’’ मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रन्थ अकादमी, भोपाल, 1994, ‘‘एन.सी.सी. कैडेट्स मिलिट्री ट्रेनिंग’’ प्रकाश बुक डिपो, बरेली, 1994, ‘‘कारगिल संघर्ष और उसके बाद’’, 2005, ‘‘ग्वालियर एवं पश्चिमी बुन्देलखण्ड के दुर्ग एवं गढ़ियाँ’’ 2013, ‘‘महारानी लक्ष्मीबाई का सैन्य नेतृत्व’’ 2017, ‘‘आतंकवाद एवं आन्तरिक सुरक्षा’’, 2019, प्रकाश बुक डिपो, बरेली, ‘‘भारत-नेपाल संबंध’’ प्रतीक्षा पब्लिकेशन्स, जयपुर, 2019, ‘‘सूचना का अधिकार अधिनियम 2005’’, 2021, प्रकाश बुक डिपो, बरेली, ‘‘भारत का सैन्य इतिहास’’, 2022, मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रन्थ अकादमी, भोपाल तथा ‘पश्चिमी एशिया, भारत एवं संयुक्त राष्ट्र’’, 2022, प्रकाश बुक डिपो, बरेली हैं। राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में अनेक शोध पत्र प्रस्तुत। दो दर्जन से अधिक शोध पत्र प्रकाशित। जरनल आॅफ एकेडेमिक सोसायटी आॅफ डिफेन्स स्टडीज, रायपुर के संस्थापक सदस्य एवं सम्पादक। मार्गदर्शन में 14 शोध छात्रों को पी-एच.डी. की उपाधि अवार्ड। मार्गदर्शन में 3 पी-एच.डी. के छात्र शोधरत्। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा प्रायोजित 3 शोध प्रोजेक्ट पर कार्य किया। एक शोध प्रोजेक्ट पर कार्यरत। रक्षा अध्ययन, इतिहास एवं सामाजिक विज्ञान की अनेक संस्थाओं के आजीवन सदस्य। एन.सी.सी. के पूर्व कमीशन प्राप्त अधिकारी। आकाशवाणी पर वार्ताओं का प्रसारण। अनेक लघु कथाओं एवं कविताओं का प्रकाशन। संस्कार भारती, मध्य भारत ग्वालियर द्वारा इतिहास एवं पुरातत्व में शोधपरक लेखन के लिए जुलाई 2009 में कला गुरु सम्मान से सम्मानित। 1980 से मध्यप्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में सैन्य विज्ञान/रक्षा अध्ययन विषय का सतत् अध्यापन। यथा, एम.जे.एस. शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, भिण्ड, शासकीय आदर्श विज्ञान महाविद्यालय, रायपुर (अब छत्तीसगढ़), शासकीय स्नातक महाविद्यालय, आलमपुर एवं शासकीय आदर्श विज्ञान महाविद्यालय, ग्वालियर में पदस्थ रहे। वर्तमान में प्राध्यापक एवं अध्यक्ष, सैन्य विज्ञान, शोध एवं स्नातकोत्तर विभाग, महारानी लक्ष्मीबाई शासकीय स्वशासी (उत्कृष्ट) महाविद्यालय, ग्वालियर में पदस्थ।
डाॅ. अशोक कुमार शर्मा —जन्म 15 अक्टूबर 1966, भोपाल (मध्य प्रदेश )। प्रो 0 अशोक कुमार शर्मा (मकसूदन माहराज ), शासकीय मोतीलाल विज्ञान स्नातकोत्तर महाविद्यालय, भोपाल में, रक्षा एवं कूटनीतिक अध्ययन विभाग में प्राध्यापक के पद पर कार्यरत हैं व वर्तमान में क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक, उच्च शिक्षा, भोपाल नर्मदापुरम संभाग भोपाल में संलग्न हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति चेतना, युवाओं में राष्ट्रहित की भावनाओं के संचार के साथ ही सामाजिक समरसता व आध्यात्मिकता हेतु विचारक व ओजस्वी वक्ता , प्रोफेसर शर्मा श्रीमद भागवद महापुराण, श्री रामकथा और अंक ज्योतिष के माध्यम से भी लगातार काम कर रहे हैं। अपने छात्र जीवन में ही डॉ शर्मा ने युवा वर्ग के लिए साप्ताहिक समाचार “तरुण क्षितिज” का सम्पादन किया है। दैनिक अखबार में राजनीतिक संवाददाता भी रहे हैं। प्रोफेसर शर्मा का 34 वर्षों का अध्यापाक अनुभव, राष्ट्रीय संगोष्ठियों/ webinar/ कार्य शालाओं में भाग लेने के साठ ही, शोधपत्रों तथा लेखों के प्रकाशन, शोध पत्रिकाओं में हो चुके हैं।
विषय सूची
अध्यायः 1 प्रस्तावना
अः भारत में पाश्चात्य शक्तियों का आगमन
बः ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना
सः कम्पनी व्यापार से सत्ताधिपत्य की दिशा में
दः भारत के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के कारण
यः संग्राम की योजना, तैयारी एवं विस्फोट
अध्यायः 2 जीवन परिचय एवं व्यक्तित्व
अः बाल्यकाल
बः व्यक्तित्व एवं प्रतिष्ठा
अध्यायः 3 कम्पनी की विस्तारवादी शोषक नीति एवं बिहार
अः देशी राजाओं एवं जागीरदारों के प्रति कम्पनी की नीति
बः बिहार मंे क्रान्ति की तैयारियाँ एवं विस्फोट
सः बाबू कुंअर सिंह का स्वतन्त्रता संग्राम में पदार्पण
अध्यायः 4 बाबू कुंअर सिंह का सैन्य नेतृत्व
अः कम्पनी के विरुद्ध युद्ध के लिए प्रोत्साहन
बः सैन्य परामर्शदाता
सः सैन्य संगठनकर्ता
दः सैन्य संक्रिया नियोजक
यः सैन्य संभरक
रः संग्राम कला
अध्यायः 5 बाबू कुंअर सिंह का युद्ध कौशल
अः आरा का संग्राम (30 जुलाई 1857)
बः बीबीगंज का संग्राम (2 अगस्त 1857)
सः आजमगढ़ का संग्राम (22 मार्च 1858)
दः टोंस नदी का संग्राम (15-17 अप्रैल 1858)
यः जगदीशपुर का संग्राम (23 अप्रैल 1858)
अध्यायः 6 बाबू कुंअर सिंह के अन्तिम दिन
अः जगदीशपुर में सिंहासनारूढ़
बः रुग्णावस्था एवं स्वर्गवास
अध्यायः 7 सैन्य समीक्षा एवं उपसंहार
अः व्यक्तित्व
बः राष्ट्रीयता
सः नेतृत्व
दः उपलब्धियाँ
परिशिष्टः
एकः बाबू कुंअर सिंह की जागीरदारी के आंकड़े
दोः 1845दृ46 का षड्यन्त्र एवं बाबू कुंअर सिंह से सम्बन्धित कुछ पत्र
तीनः विद्रोही निशान सिंह का बयान
चारः विद्रोही हरकिशन सिंह के मुकदमे की कार्यवाही
पाँचः बाबू कुंअर सिंह के पूर्वज एवं वंशज
छहः बाबू कुंअर सिंह की संस्ड्डत प्रशस्ति
सातः कुंअर सिंह एवं अमर सिंह की जब्त की गई जागीरदारी के हिसाब का सार-संक्षेप
आठः शाहाबाद में पकड़े गये शस्त्रास्त्रों की सूची
नौः बिहार के अन्य क्रान्तिकारी एवं उनका संघर्ष क्षेत्रः-
अमर सिंह-शाहाबाद
अर्जुन सिंह-सिंहभूमि
हैदर अली खान एवं जुहार सिंह-गया
दसः प्रचलित लोकगीतों में बाबू कुंअर सिंह
संदर्भ-ग्रन्थ
भारत के वीर सपूतों का बलिदान हर भारतीयों को पता होना चाहिए भारत एक गौरवशाली देश रहा है। डॉ विष्णुकांत सर का मैं ह्रदय से आभार प्रकट करता हूँ जो समय समय पर भारत के इतिहास को किताब के माध्यम से बताने की पूर्ण कोशिश करते है। जय हिंद।
ReplyDeleteIt's very nice book on the first freedom movement of India. In Hindi such kind of book s are not available. I have not seen any book on great leader Babu Kunwar Singh in Hindi. I appreciate the effort of writer and publisher.
ReplyDeleteआरा के वीर कुंवर सिंह जिन्होंने अंग्रेजो के विरुद्ध राष्ट्रीयता के प्रथम युद्ध ,के बिगुल को पूर्वांचल से फूंका तथा अपना हाथ मां गंगा को बलिदान करते हुए अपने अंतिम सांस तक संघर्ष करते हुए बलिदान को प्राप्त हुए।।
ReplyDeleteऐसे व्यक्तित्व के जीवन, व्यतित्व और छापामार सामरिक कला पर किया गया यह कार्य आने वाली पीढ़ियों के लिए अकादमिक गुणवत्ता ,नैतिक मूल्यों और राष्ट्रीयता को बढ़ाने वाला निश्चय ही साबित होगा।
विद्वान लेखक श्री विष्णु कांत शर्मा सर एवं अशोक शर्मा जी को ढेर सारी शुभकामना!
सो nais
ReplyDeleteजाय हो
ReplyDeleteVery nice book
ReplyDeletecongratulations
ReplyDelete
ReplyDeleteकुँवर सिंह पर प्रकाशित इस पुस्तक मैं भारत के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम में उनके योगदान और बहादुरी की अमर कथा सैनिक विज्ञान के विद्यार्थी और समाज के लिए निश्चय ही प्रेरणादायक सिद्ध होगी शहीद कुँवर सिंह के जीवन चरित्र पर इस पुस्तक के प्रकाशन के लिए लेखक - डॉ. विष्णु कांत शर्मा जी, सम्पादक - डॉ. अशोक कुमार शर्मा एवं प्रकाश बुक डिपो बरेली को अनेक अनेक शुभकामनाएं और बधाई
The book constant seven chapter .the book is very nice in reference book rea ding list.book is very helpful to research student .I congratulate to prof.Vishnu Kant Sharma and Prof Ashok Sharma.
ReplyDeleteदेश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के नायकों में एक ऐसा नायक भी था जिसने अस्सी वर्ष की उम्र में ब्रिटिश हुकूमत की जड़ें हिला दीं, वो नाम था बाबू कुंअर सिंह, विश्व के इतिहास में यह पहला उदाहरण है, जब इतने व्रद्ध योद्धा ने तलवार उठाकर ब्रिटिश हुकूमत को युद्ध के लिए ललकारा। उन्होंने अपने बेहतरीन युद्ध कौशल (छापामार युद्धकला) के बल पर लगभग एक साल तक ब्रिटिश हुकूमत को परेशान किया। अनेक इतिहासकारों ने स्वीकार किया कि उनमें वीर शिवाजी जैसा तेज था। कुंअर सिंह की प्रशंसा करते हुऐ मेजर विंसेट आयर ने स्वयं कहा था "बाबू कुंअर सिंह युद्ध कला का जादूगर है, हम लोग उसके सामने असहाय हैं।"
ReplyDeleteकहते हैं कि इतिहास भविष्य का दर्पण होता है और जो (व्यक्ति/राष्ट्र) अपना इतिहास भूल गए आज दुनिया के आगे उनकी खुद की कोई Identify नहीं रही। इसलिए यही कहूंगा कि भारत का इतिहास बड़ा गौरवशाली रहा है, बस जरूरत है इसे पढ़ने और समझने की।
मैं पुस्तक के लेखक डॉ. विष्णुकांत शर्मा सर और डॉ. अशोक शर्मा सर का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने बाबू कुंवर जैसे महान नायक पर लेखन कार्य किया। निश्चित रूप से आपकी यह पुस्तक सैन्य विज्ञान/रक्षा अध्ययन के विद्यार्थियों के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने प्रतिभागियों के लिए ज्ञानवर्धक सिद्ध होगी।
This is a very nice book.I go through content of book.This is very useful for research student. Book helpful for student of military science/Defense Studies and competitive exam.I congrats to Prof. Vishnu Kant Sharma and Prof.Ashok Sharm.
ReplyDeleteGreat work. Much needed information about our freedom struggle and about the less talked freedom fighters. Shows a lot of research work done.
ReplyDeleteThis is a very nice book.I go through content of book.This is very useful for student of military science/Defense Studie.I congrats to Prof. Vishnu Kant Sharma and Prof.Ashok Sharm.
ReplyDeleteThis is a very nice book.I go through content of book.This Book is very helpful for student of military science/Defense Studies .I congrats to Prof. Vishnu Kant Sharma and Prof.Ashok Sharm.
ReplyDeleteअंग्रेजों के खिलाफ भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में बाबू कुंवर सिंह का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। इस पुस्तक के माध्यम से हमें उनके बारे में काफी जानकारी प्राप्त हो जाती है। अतः इस पुस्तक को लिखने में प्रोफेसर डॉक्टर विष्णुकांत शर्मा जी एवं श्री अशोक शर्मा जी के योगदान की में महत्वपूर्ण रूप से सराहना करता हूं। आगे भी आप लोग ऐसी ही किताबों के माध्यम से जानकारियां देते रहेंगे।
ReplyDeleteइस किताब के माध्यम से हमको भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बारे में जो जानकारी मिली है वह बहुत महत्वपूर्ण है। मैं डॉक्टर विष्णुकांत शर्मा एवं श्री अशोक शर्मा जी को इस किताब को लिखने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद देती हूं।
Deleteडॉ विष्णुकांत sir द्वारा एवम् श्री अशोक शर्मा जी द्वारा जो पुस्तक लिखी गई है वह अद्भुत है आप सच में साधुवाद के पात्र हैं एक सटीक और पूर्ण सत्य पर आधारित पुस्तक सच में समाज का कल्याण एवम् जन मानस को इतिहास का ज्ञान कराएगी!
ReplyDeleteNice book. One of its kind.
ReplyDelete🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻जाय हो
ReplyDeleteसर आप की जाय हो 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
ReplyDeleteविष्णुकांत सर की जय हो 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
ReplyDeleteश्री आदरणीय विष्णुकांत शर्मा जी को साधारण नमन
ReplyDelete१८५७ का संग्राम भारतीय इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है। इसने राजनैतिक एवं सामरिक द्रष्टिकोण से भारत के स्वाधीनता संग्राम में नये अध्याय को जन्म दिया। इस संघर्ष का ही परिणाम था कि यह चिंगारी एक दावानल बन गई और अगले मात्र ९० वर्षों में भारत को स्वाधीनता प्राप्त हुई।
ReplyDeleteइस यज्ञ में बाबू कुंवर सिंह के प्रयास किसी आहुति से कम न थे। उनके योगदान को कभी नकारा और भुलाया नहीं जा सकता है।
डा० विष्णु कांत शर्मा जी ने अपनी पुस्तक में जिस खूबसूरती से बाबू कुंवर सिंह जी की भूमिका का आकलन किया है वह निश्चय ही काबिले तारीफ है।
इतिहास और रक्षा से संबंधित विषयों में रुचि रखने वाले पाठकों को यह पुस्तक निश्चय ही रास आयेगी।
यह पुस्तक भारत के प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन को एक भारतीय के इतिहास परक दृष्टिकोण को निष्पक्ष रूप से व्यक्त करती है साथ ही क्षेत्रीय ऐतिहासिक लेखन को भी समृद्ध करती है।
ReplyDeleteAn easy to read book with in depth coverage of the life of Babu Kunwar Singh. Lot of research has been put by the author and students and research scholars can benefit immensely from the excellent work of the authors.
ReplyDeleteHistory enthusiasts can also find interesting and rare content in this book.
My compliments to the author and publisher.
भारत के प्रथम स्वतंत्रता
ReplyDeleteसंग्राम के महान योद्धाओं में स्वर्गीय बाबू कुंअर सिंह का नाम सदैव स्वर्णिम अच्छरों में लिखा जायेगा बाबू कुंअर सिंह वृध्द होते हुये भी अंग्रेजों के खिलाफ बहुत ही वहादुरी से डटकर मुकाबला किया उनके इस वलिदान के प्रति समर्पित भावना का हमारी युवा पीढी विशेष कर सैन्य विज्ञान के छात्र इस बहुत की उपयोगी पुस्तक का अध्ययन करेंगे तो अवश्य ही उनके ज्ञान में वृद्धि होगी मैं निजी रूप से इस पुस्तक के विद्वान लेखक प्रों डां विष्णु कान्त शर्मा सहाब व सम्पादक प्रो, डां अशोक शर्मा सहाब को हार्दिक बधाई व शुभ कामनायें देता हूँ एवं दोनों विद्वानों के सपरिवार उज्जवल भविष्य की प्रार्थना ईश्वर से करता हूं एवं आशा करता हूँ कि डां विष्णुकान्त शर्मा सहाब भविष्य में भी इसी प्रकार की विशेष ज्ञानोपयोगी पुस्तकों का लेखन अनवरत करतें रहें इसी शुभ कामना के साथ पुनः दोनों लेखकों को बहुत बहुत साधुवाद ।
डा० विष्णु कांत शर्मा जी ने अपनी पुस्तक में जिस खूबसूरती से बाबू कुंवर सिंह जी की भूमिका का आकलन किया है वह निश्चय ही काबिले तारीफ है।
ReplyDeleteडॉ विष्णुकांत सर का मैं ह्रदय से आभार प्रकट करता हूँ जो समय समय पर भारत के इतिहास को किताब के माध्यम से बताने की पूर्ण कोशिश करते है।
ReplyDeleteदेश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के नायकों में एक कुँवर सिंह पर प्रकाशित इस पुस्तक मैं भारत के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम में उनके योगदान और बहादुरी की अमर कथा सैनिक विज्ञान के विद्यार्थी और समाज के लिए निश्चय ही प्रेरणादायक सिद्ध होगी
जय हिंद।
Great book,good information and nice effort by publishing agency to make people aware about freedom fighters.
ReplyDeleteGreat history
ReplyDeleteVery useful information shared by the book
ReplyDeleteप्रशंसनीय
ReplyDeleteGreat job. Perfect read..A very good read Well done👍
ReplyDeleteThe Book is an enlightening exploration of the Indian freedom struggle in 1857, coupled with a deep dive into the life and contributions of Babu Kunwar Singh. It is imperative for every Indian to be aware of the sacrifices made by our brave sons of the soil, which have contributed to India's glorious legacy. The book brilliantly captures the essence of the era and provides invaluable insights into the courage and sacrifices of those who fought for independence. A must-read for history enthusiasts and anyone eager to delve into the rich tapestry of India's freedom movement.
ReplyDeleteI express heartfelt gratitude toward writers for their unwavering efforts in narrating India's history through this book, thereby enriching our understanding of our heritage.
Very enlightening book on a very imperative topic. It's high time when we actually learn about our history in true sense rather than through coloniers lens.
ReplyDeleteIt's owesome book must read for genuine knowledge
ReplyDeleteInspirational book for all the generation
ReplyDeleteYhe pustak bhartiya senya itihash abam 1857 ke sabtantra sangram pr adharit hai jisme bises rup se Babu kwar Singh ke sabtantra sangram ke yogdaan ka bises bises bibran kiya jata hai jiske liye me lekhakko me abam peakasako ko dhanyawad dena chahata hu.
ReplyDeleteVery excellent work done by prof Vishnu kant Sharma and prof Ashok sharma .
ReplyDeleteVery useful and important book. I appreciate Dr.Vishnu Kant Sharma and Ashok Kumar Sharma. This book will give proper guidance to the readers
ReplyDeleteयह पुस्तक क्षेत्रीय इतिहास के अध्ययन के लिए बहुत ही लाभदायक पुस्तक है 1857 के स्वतंत्रता संग्राम पर आधारित बिहार के वीर बाबू पवन सिंह के जीवन में संग्राम एवं योगदान के लिए यह पुस्तक इतिहास के रूप में लिखी गई है आशा है पाठकों को यह लाभदायक सिद्ध होगी
ReplyDeleteVery excellent book. It give new direction to the reader
ReplyDeleteI congratulate dr v k sharma for this book .
ReplyDeleteVery nice book
ReplyDeleteभारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के महान नायक बाबू कुंअर सिंह के जीवन पर लेखन कार्य के लिए आप दोनों गुरुजनों (डॉ. विष्णुकांत शर्मा सर और डॉ. अशोक कुमार शर्मा सर) को साधुवाद। सर आपके द्वारा पूर्व में लिखी गई अन्य पुस्तकों की भांति यह पुस्तक भी सैन्य विज्ञान /रक्षा अध्ययन विषय के विद्यार्थियों, शोधार्थियों एवं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। इन्हीं शुभकामनाओं के साथ एक बार पुनः बहुत-बहुत बधाई।🙏
ReplyDeleteThankyou
ReplyDeleteThis book is very much useful for defence students. Congratulations to Dr Ashok sharma sir और Dr vishnukant sharma sir. 💐💐🙏💐💐🙏
ReplyDeleteHeartily congratulations Dr. Ashoka Sharma sir and Dr. Vishnukant sharma sir for this book .This book is very useful for defense students.💐💐💐💐💐💐💐
ReplyDeleteVery useful book for military science students & scholars , hopefully many more books will be published by you two. A very hearty congratulations to Dr. Vishnukant Sharma ji & Dr. Ashok Kumar Sharma ji 🌺🌺
ReplyDeleteबेहतरीन पुस्तक
ReplyDeleteNice book
ReplyDeleteCertainly! Here are some praiseworthy words you could use to commend the author of a book on the 1857 Freedom Fighting Movement:
ReplyDelete---
Your meticulous research and vivid storytelling bring the 1857 Freedom Fighting Movement to life in a way that is both educational and profoundly moving. The depth of your scholarship and the clarity of your prose make this book an invaluable resource for anyone seeking to understand this pivotal moment in history. Your work honors the bravery and sacrifices of those who fought for freedom, ensuring their legacy endures for future generations. Thank you for shedding light on this critical chapter of our past with such dedication and passion.
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Feel free to adapt this to better fit the specific context or focus of
Your meticulous research and vivid storytelling bring the 1857 Freedom Fighting Movement to life in a way that is both educational and profoundly moving. The depth of your scholarship and the clarity of your prose make this book an invaluable resource for anyone seeking to understand this pivotal moment in history. Your work honors the bravery and sacrifices of those who fought for freedom, ensuring their legacy endures for future generations. Thank you for shedding light on this critical chapter of our past with such dedication and passion.
ReplyDelete
ReplyDeleteCongratulations to the editor Dr.Ashok Kumar Sharma ji and the writer Dr.Vishnukant Sharma ji for their outstanding work of the book about the 1857 freedom fighter Kunwar Singh. This meticulously researched and well-written book not only brings to life the inspiring story of a key figure in India's struggle for independence but also serves as an invaluable resource for students of military science. By examining Kunwar Singh's strategies, leadership, and resilience, students can gain important insights into the complexities of warfare and the spirit of resistance. Well done on creating such a significant and educational work!
ReplyDeleteDr. Ashok Kumar Sharma ji and Dr. Vishnukant Sharma ji, your meticulous research and insightful writing have illuminated the life of Kunwar Singh, inspiring generations.
Nice book
ReplyDeleteit's really useful for history students as well as those who are interested in history all the best 👍