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Prakash Book Depot, Bareilly— Views and News
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19.7.24
Readings into BRITISH and AMERICAN DRAMA
1.7.24
एक अकेला पहिया
(नवगीत-संग्रह)
ISBN 978-93-91984-75-5
Price: Rs. 250.00
pp.: 112
साहित्य-जगत में डॉ अवनीश सिंह चौहान एक प्रतिष्ठित नवगीतकार हैं। वे हिन्दी और अंग्रेजी भाषाओं के प्रख्यात लेखक और इन दोनों भाषाओं की आभासी दुनिया और प्रिंट मीडिया के जागरूक संपादक हैं। डॉ अवनीश सिंह चौहान आभासी दुनिया में नवगीत की स्थापना करने वाले उन्नायकों में अग्रपांत रहे हैं। यद्यपि आपका नवगीतीय अवदान बहुत अधिक नहीं है, किंतु जो है उसकी सुगंध देश की सीमाओं से बाहर निकलकर वैश्विक हो गई है — विश्व स्तर पर आपके हिन्दी और अंग्रेजी भाषी पाठकों की संख्या लाखों में है।
'अकेला होना' और 'अकेले चलना' दो अलग-अलग स्थितियाँ हैं। 'अकेला होना' मनुष्य की बाध्यता या विकलता का सूचक हो सकता है, जबकि 'अकेला चलना' मनुष्य का चुनाव है। 'अकेला चलना' एक कला है— भोगी के लिए भी और योगी के लिए भी। लौकिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए मनुष्य को अकेले ही अपने कर्तव्यपथ पर चलना होता हैं, क्योंकि कर्तव्य ही उसे आगे बढ़ने की शक्ति प्रदान करता है और विषम परिस्थिति आने पर पथविचलित होने से उसकी रक्षा करता है— "कर्तव्येन कर्ताभि रक्षयते" (महाभारत, भीष्म पर्व, 58.27)। 'एक अकेला पहिया' की रचनाएँ मनुष्य की इसी लौकिक और आध्यात्मिक यात्रा का वृतांत रचने का एक लघु प्रयास हैं।
21.5.24
1857 का स्वतंत्रता संग्राम एवं बाबू कुंअर सिंह (Babu Kunwar Singh)
लेखक :
विष्णु कान्त शर्मा
अशोक कुमार शर्मा
ISBN 978-93-91984-53-3
Hardbound
Price: Rs. 650.00
pp.: 184
भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857-58 में लड़ा गया था। अंग्रेज इतिहासकारों ने इसे सिपाही विद्रोह अथवा गदर का नाम दिया है, किन्तु वास्तव में यह सिपाही विद्रोह अथवा गदर न होकर भारतीय स्वाधीनता का प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम था, जिसका मुख्य उद्देश्य था-अंग्रेजों को देश से बाहर निकाला जाय तथा भारत को स्वतंत्र किया जाय।
स्वातन्त्रय संघर्ष के दौरान ब्रिटिश सेनाओं से हुए अनेक संग्रामों में बाबू कुंअर सिंह ने अपने कुशल नेतृत्व, सामरिक योग्यता एवं श्रेष्ठ युद्ध कौशल का प्रदर्शन किया था। इस पुस्तक का उद्देश्य बाबू कुंअर सिंह द्वारा लड़े गये संग्रामों का तथ्यात्मक विश्लेषण एवं मूल्यांकन करके उनकी सामरिक छवि को उजागर करना है।
डाॅ. विष्णुकान्त शर्मा, जन्म 28 दिसम्बर, 1958, बिलौआ जिला ग्वालियर मध्यप्रदेश। शिक्षा—एम.एस-सी. (सैन्य विज्ञान) जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर, पी-एच.डी. (रक्षा अध्ययन), पं. रवि शंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर, एल.एल.बी. जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर। सैन्य विज्ञान विषय की स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर की पुस्तकों के लेखक, जिनमें ‘‘एन.सी.सी. परिचय एवं प्रशिक्षण’’ प्रकाश बुक डिपो, बरेली, 1991, ‘‘रासायनिक युद्ध की तकनीक’’ मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रन्थ अकादमी, भोपाल, 1994, ‘‘एन.सी.सी. कैडेट्स मिलिट्री ट्रेनिंग’’ प्रकाश बुक डिपो, बरेली, 1994, ‘‘कारगिल संघर्ष और उसके बाद’’, 2005, ‘‘ग्वालियर एवं पश्चिमी बुन्देलखण्ड के दुर्ग एवं गढ़ियाँ’’ 2013, ‘‘महारानी लक्ष्मीबाई का सैन्य नेतृत्व’’ 2017, ‘‘आतंकवाद एवं आन्तरिक सुरक्षा’’, 2019, प्रकाश बुक डिपो, बरेली, ‘‘भारत-नेपाल संबंध’’ प्रतीक्षा पब्लिकेशन्स, जयपुर, 2019, ‘‘सूचना का अधिकार अधिनियम 2005’’, 2021, प्रकाश बुक डिपो, बरेली, ‘‘भारत का सैन्य इतिहास’’, 2022, मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रन्थ अकादमी, भोपाल तथा ‘पश्चिमी एशिया, भारत एवं संयुक्त राष्ट्र’’, 2022, प्रकाश बुक डिपो, बरेली हैं। राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में अनेक शोध पत्र प्रस्तुत। दो दर्जन से अधिक शोध पत्र प्रकाशित। जरनल आॅफ एकेडेमिक सोसायटी आॅफ डिफेन्स स्टडीज, रायपुर के संस्थापक सदस्य एवं सम्पादक। मार्गदर्शन में 14 शोध छात्रों को पी-एच.डी. की उपाधि अवार्ड। मार्गदर्शन में 3 पी-एच.डी. के छात्र शोधरत्। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा प्रायोजित 3 शोध प्रोजेक्ट पर कार्य किया। एक शोध प्रोजेक्ट पर कार्यरत। रक्षा अध्ययन, इतिहास एवं सामाजिक विज्ञान की अनेक संस्थाओं के आजीवन सदस्य। एन.सी.सी. के पूर्व कमीशन प्राप्त अधिकारी। आकाशवाणी पर वार्ताओं का प्रसारण। अनेक लघु कथाओं एवं कविताओं का प्रकाशन। संस्कार भारती, मध्य भारत ग्वालियर द्वारा इतिहास एवं पुरातत्व में शोधपरक लेखन के लिए जुलाई 2009 में कला गुरु सम्मान से सम्मानित। 1980 से मध्यप्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में सैन्य विज्ञान/रक्षा अध्ययन विषय का सतत् अध्यापन। यथा, एम.जे.एस. शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, भिण्ड, शासकीय आदर्श विज्ञान महाविद्यालय, रायपुर (अब छत्तीसगढ़), शासकीय स्नातक महाविद्यालय, आलमपुर एवं शासकीय आदर्श विज्ञान महाविद्यालय, ग्वालियर में पदस्थ रहे। वर्तमान में प्राध्यापक एवं अध्यक्ष, सैन्य विज्ञान, शोध एवं स्नातकोत्तर विभाग, महारानी लक्ष्मीबाई शासकीय स्वशासी (उत्कृष्ट) महाविद्यालय, ग्वालियर में पदस्थ।
डाॅ. अशोक कुमार शर्मा —जन्म 15 अक्टूबर 1966, भोपाल (मध्य प्रदेश )। प्रो 0 अशोक कुमार शर्मा (मकसूदन माहराज ), शासकीय मोतीलाल विज्ञान स्नातकोत्तर महाविद्यालय, भोपाल में, रक्षा एवं कूटनीतिक अध्ययन विभाग में प्राध्यापक के पद पर कार्यरत हैं व वर्तमान में क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक, उच्च शिक्षा, भोपाल नर्मदापुरम संभाग भोपाल में संलग्न हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति चेतना, युवाओं में राष्ट्रहित की भावनाओं के संचार के साथ ही सामाजिक समरसता व आध्यात्मिकता हेतु विचारक व ओजस्वी वक्ता , प्रोफेसर शर्मा श्रीमद भागवद महापुराण, श्री रामकथा और अंक ज्योतिष के माध्यम से भी लगातार काम कर रहे हैं। अपने छात्र जीवन में ही डॉ शर्मा ने युवा वर्ग के लिए साप्ताहिक समाचार “तरुण क्षितिज” का सम्पादन किया है। दैनिक अखबार में राजनीतिक संवाददाता भी रहे हैं। प्रोफेसर शर्मा का 34 वर्षों का अध्यापाक अनुभव, राष्ट्रीय संगोष्ठियों/ webinar/ कार्य शालाओं में भाग लेने के साठ ही, शोधपत्रों तथा लेखों के प्रकाशन, शोध पत्रिकाओं में हो चुके हैं।
विषय सूची
अध्यायः 1 प्रस्तावना
अः भारत में पाश्चात्य शक्तियों का आगमन
बः ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना
सः कम्पनी व्यापार से सत्ताधिपत्य की दिशा में
दः भारत के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के कारण
यः संग्राम की योजना, तैयारी एवं विस्फोट
अध्यायः 2 जीवन परिचय एवं व्यक्तित्व
अः बाल्यकाल
बः व्यक्तित्व एवं प्रतिष्ठा
अध्यायः 3 कम्पनी की विस्तारवादी शोषक नीति एवं बिहार
अः देशी राजाओं एवं जागीरदारों के प्रति कम्पनी की नीति
बः बिहार मंे क्रान्ति की तैयारियाँ एवं विस्फोट
सः बाबू कुंअर सिंह का स्वतन्त्रता संग्राम में पदार्पण
अध्यायः 4 बाबू कुंअर सिंह का सैन्य नेतृत्व
अः कम्पनी के विरुद्ध युद्ध के लिए प्रोत्साहन
बः सैन्य परामर्शदाता
सः सैन्य संगठनकर्ता
दः सैन्य संक्रिया नियोजक
यः सैन्य संभरक
रः संग्राम कला
अध्यायः 5 बाबू कुंअर सिंह का युद्ध कौशल
अः आरा का संग्राम (30 जुलाई 1857)
बः बीबीगंज का संग्राम (2 अगस्त 1857)
सः आजमगढ़ का संग्राम (22 मार्च 1858)
दः टोंस नदी का संग्राम (15-17 अप्रैल 1858)
यः जगदीशपुर का संग्राम (23 अप्रैल 1858)
अध्यायः 6 बाबू कुंअर सिंह के अन्तिम दिन
अः जगदीशपुर में सिंहासनारूढ़
बः रुग्णावस्था एवं स्वर्गवास
अध्यायः 7 सैन्य समीक्षा एवं उपसंहार
अः व्यक्तित्व
बः राष्ट्रीयता
सः नेतृत्व
दः उपलब्धियाँ
परिशिष्टः
एकः बाबू कुंअर सिंह की जागीरदारी के आंकड़े
दोः 1845दृ46 का षड्यन्त्र एवं बाबू कुंअर सिंह से सम्बन्धित कुछ पत्र
तीनः विद्रोही निशान सिंह का बयान
चारः विद्रोही हरकिशन सिंह के मुकदमे की कार्यवाही
पाँचः बाबू कुंअर सिंह के पूर्वज एवं वंशज
छहः बाबू कुंअर सिंह की संस्ड्डत प्रशस्ति
सातः कुंअर सिंह एवं अमर सिंह की जब्त की गई जागीरदारी के हिसाब का सार-संक्षेप
आठः शाहाबाद में पकड़े गये शस्त्रास्त्रों की सूची
नौः बिहार के अन्य क्रान्तिकारी एवं उनका संघर्ष क्षेत्रः-
अमर सिंह-शाहाबाद
अर्जुन सिंह-सिंहभूमि
हैदर अली खान एवं जुहार सिंह-गया
दसः प्रचलित लोकगीतों में बाबू कुंअर सिंह
संदर्भ-ग्रन्थ
13.5.24
A Companion to Assistant Teacher (LT Grade: Uttarakhand) Examination
List of Contents:
15.2.24
Zero (Poems)
Poems by
R.M. Prabhulinga Shastry
ISBN 978-93-91984-81-6
pp.: 184
Price: Rs. 500.00
R.M. Prabhulinga Shastry is a bilingual versatile, prolific writer, who has produced books of poetry, drama, novel, short stories and essays and translations from Sanskrit into English and from English into Telugu. His poems in English express his experiences of the philosophical thought of Advaita Vedanta. His poetry is spiritual-cum-philosophical in nature. The very title of the Book “Zero” attempts to point to the phenomenon of Absolute Truth, Nothingness, the Wholeness. It demands the courage to surrender oneself, the courage to annihilate pride, the courage to become a void. He who is willing to disappear attains fulfillment and he who is willing to die achieves life.
14.2.24
Cultural Conflict in the Plays of Eugene O’Neill
by
Ruchi Agarwal
ISBN 978-93-91984-95-3
pp.: 144
Price: Rs. 400.00
Eugene O’Neill’s plays often explore the complexities of cultural conflicts, portraying the clashes between different social classes, ethnicities and personal values. He presented characters of different races like Negro, Swedish, Irish etc. with remarkable workmanship. His characters grapple with issues of identity, belongingness and the tensions arising from different cultural backgrounds. Whether it’s the struggles of an Irish-American family in Long Days Journey into Night or the clash between tradition and modernity in The Hairy Ape, O’Neill’s work delves deeply into the struggles of individuals caught in the throes of cultural conflict. The present work attempts to highlight, how Eugene O’Neill treated racial and cultural conflict to produce such ever time great and classic tragedies.
Dr. Ruchi Agarwal is an Assistant Professor in English, Sahu Ram Swaroop Mahila Mahavidyalaya, Bareilly, Uttar Pradesh. She completed her research on American Dramatist Eugene O'Neill in 2005. Her research papers and articles on Walt Whitman, Robert Frost, V.S. Naipaul, Nayantara Sahgal, etc. are published in journals and books. Her area of interest is Indian English Literature and modern British Literature.
Introduction
Race Relationship As A Source of Tragedy
Negro Versus White
Irish Versus White
Technique and Workmanship
Conclusion
Appendix: Marginalization in American Society with special reference to Eugene O’Neill’s Major Black Characters
Bibliography
13.2.24
A Study of Gabriel Garcia Marquez's CHRONICLE OF A DEATH FORETOLD
R.K. Jha
ISBN 978-93-91984-71-7
pp.: 112
Price: Rs. 150.00
CONTENTS:
GABRIEL GARCIA MARQUEZ: LIFE AND WORKS
GABRIEL GARCIA MARQUEZ: THE PRACTITIONER OF HYBRID LITERATURE
STORY IN BRIEF OF THE NOVELLA—CHRONICLE OF A DEATH FORETOLD
SUMMARY OF THE NOVELLA—CHRONICLE OF A DEATH FORETOLD
PROMINENT CHARACTERS OF THE NOVELLA— CHRONICLE OF A DEATH FORETOLD
STYLE, TECHNIQUE AND ART OF CHARACTERIZATION IN THE NOVELLA— CHRONICLE OF A DEATH FORETOLDalso available at amazon.in
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