4.3.23

स्त्रातेजिक विचारधारा : उद्भव व विकास

 

STRATEGIC THOUGHT :
Origin and Development


लेखक : राम सूरत पाण्डेय 


SEVENTH Revised and Enlarged Edition

ISBN 978-93-91984-23-6

Price: Rs. 398.00

pp.: 296


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डॉ. आर.एस. पाण्डेय, डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या से सम्बद्ध लाल बहादुर शास्त्री (पी.जी.) कॉलेज, गोण्डा (उ.प्र.) के स्नातकोत्तर रक्षा व रणनीतिक अध्ययन विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर पद पर कार्यरत रहे हैं। रक्षा व रणनीतिक अध्ययन विषय से संदर्भित डॉ. पाण्डेय की बारह पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा अनेक राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों/वर्कशाप/वेबीनार आदि में भाग लेने के साथ-साथ इनके 50 से अधिक शोध-पत्र/लेख विभिन्न शोध-पत्रिकाओं /सम्पादित पुस्तकों एवं सैनिक समाचार व प्रतियोगिता दर्पण आदि में प्रकाशित हो चुके हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से अनुदानित दो ‘माइनर रिसर्च प्रोजेक्ट’ व दो ‘मेजर रिसर्च प्रोजेक्ट’ पूर्ण कर चुके डॉ. पाण्डेय के निर्देशन में 11 शोध छात्रों को पी.एच.-डी. की उपाधि मिल चुकी है। डॉ. पाण्डेय आई.डी.एस.ए. के एसोसिएट मेम्बर एवं सुरक्षा सारथी, सुरक्षा चिन्तन, डाक्ट्रिन, सुरक्षा परिदृश्य व स्ट्रेटजिक व्यूप्वाइंट आदि शोध पत्रिकाओं के सम्पादक-मण्डल के सदस्य भी हैं।

विषय सूची 

प्रथम खण्ड

युद्ध की अवधारणा युद्ध की परिभाषायुद्ध के कारणयुद्ध के प्रकारपरम्परागत युद्धशीत युद्धगुरिल्ला युद्धकर्मआणविक युद्धजीवाणु युद्धरासायनिक युद्धआधुनिक युद्धकर्म की विशेषतायें

युद्ध एवं राजनीति का सम्बन्ध  युद्धराजनीति के एक साधन के रूप में

युद्धकला का उद्भव एवं विकास  युद्धकला का पुनर्जागरणयुद्धकला पर विज्ञान का प्रभावराष्ट्रीय युद्ध की अवधारणा तथा जनसेना की अवधारणा

क्रान्तिकारी एवं छापामार युद्धकर्म  क्रान्तिकारी युद्ध का अर्थविशेषतायें तथा गुरिल्ला युद्धकर्म

स्त्रातेजीसामरिकी एवं सम्भारिकी  स्त्रातेजी का अर्थउद्देश्यप्रकारमहान स्त्रातेजीस्त्रातेजी एवं महान स्त्रातेजी में अन्तरस्त्रातेजिक गतिविधियाँचालेंसामरिकीस्त्रातेजी व सामरिकी में भेद तथा सम्भारिकी

युद्ध के आर्थिक आधार  संसाधन संचरणविधियाँयुद्ध एक आर्थिक समस्या के रूप में तथा औद्योगिक, राजनैतिक व सैन्य पहलुओं का पारस्परिक संयोजन

 

द्वितीय खण्ड

सोलहवीं से अट्ठारहवीं शताब्दी तक के प्रमुख स्त्रातेजिक विचारक  निकोलो मैक्यावेली, गुस्तावस एडाल्फस, हेनरी ट्यूरिन, मार्लबोरो, सिबेस्टीन वाबन, फ्रेडरिक महान्, नैपोलियन बोनापार्ट, काउण्ट डी गिबर्ट, फ्रीहर डीट्रिच बॉन बुलो, अन्टोनी हेनरी जोमिनीकार्ल वान क्लाजविट्ज

उन्नीसवीं शताब्दी से प्रथम महायुद्ध तक के प्रमुख स्त्रातेजिक विचारक  एडम स्मिथ, अलेक्जेन्डर हैमिल्टन, फ्रेडरिक लिस्ट, कार्ल मार्क्स एवं फ्रेडरिश एंजिल्स, हेल्मेथ कार्ल मोल्टके, काउन्ट एल्फ्रेड श्लीफेन, अर्दान्त दूपिक, मार्शल फरडीनेन्ड फौच, हंस डेलब्रुक

द्वितीय महायुद्ध काल के प्रमुख स्त्रातेजिक विचारक  चर्चिललायड जार्ज एवं क्लीमेन्सू, इरिच ल्यूडेनडार्फ, लेनिनट्रोटस्की एवं स्टालिन, एडाल्फ हिटलर

सामुद्रिक व नभ-शक्ति के प्रमुख स्त्रातेजिक विचारक  अल्फ्रेड थेयर महान्, गाइलो डूहे, जनरल मिचेल, अलेक्जेण्डर डी सेवेरस्की

स्थल युद्धकला के प्रमुख स्त्रातेजिक विचारक  कार्ल हॉसफर, हलफोर्ड जे. मैकाइण्डर, स्पाइकमैन, कैप्टन बी.एच. लिडिलहार्ट, जे.एफ.सी. फुलर

छापामार युद्धकला के प्रमुख विचारक  सन्तजूचेग्वेवारा, माओत्सेतुंग

 

तृतीय खण्ड

आणविक युद्ध सम्बन्धी प्रमुख विचारक  बर्नार्ड ब्रोडी, विलियम कॉफमैन, राबर्ट आसगुड, हेनरी किसिंजर, हरमैन कॉन, जान फास्टर डलेस, आन्द्रे ब्यूफ्रे, के. सुब्रह्मण्यम, वाई. हरकाबी

भयादोहन (भय-निवारण)

निरस्त्रीकरण एवं शस्त्र नियन्त्रण

 

चतुर्थ खण्ड

आचार्य कौटिल्य  

समर्थ रामदास    

छत्रपति शिवाजी  

महात्मा गांधी      

पं. जवाहर लाल नेहरू       

 

पंचम् खण्ड

महत्वपूर्ण प्रश्न

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1 comment:

Anonymous said...

रक्षा एवं स्त्रातेजिक अध्ययन के क्षेत्र में गुरुदेव का योगदान अतुलनीय है। राष्ट्रीय स्तर पर किसी ने भी रक्षा अध्ययन में इतना योगदान नहीं दिया है