ISBN 978-93-91984-32-8
Price: Rs. 350.00
pp.: 152
अनुक्रम
सत्यनारायण
नवगीत के कथ्य से कई विधाएँ
पोषित              
गुलाब सिंह
कविता का
अर्थशास्त्र
कवि
के
पक्ष
में
नहीं               
कुमार रवीन्द्र
फिल्मी गीत की दृष्टि विशुद्ध व्यवसायिक
मधुसूदन साहा
न्यूनतम शब्दों में अधिकतम
अभिव्यक्ति            
मयंक श्रीवास्तव 
प्रत्येक लेखक के अपने
प्रतिमान होते हैं             
शान्ति सुमन
लय और छंद का अनुशासन आवश्यक
              
राम सेंगर
बात ही कविता में खुलती-बोलती
है                
नचिकेता
नवगीत की भाषा सहज होनी
चाहिए                
वीरेन्द्र आस्तिक 
नवगीत, गीत का आधुनिक संस्करण
         
रामनारायण रमण 
जन-सरोकारों से लैस रचना
स्वीकार्य          
बुद्धिनाथ
मिश्र
‘फॉर्म’ से ज्यादा ‘कॉन्टेंट’
पर ध्यान          
रामसनेहीलाल शर्मा 'यायावर'
समय की छलनी बड़ी निर्मम
है             
ओमप्रकाश सिंह
हिंदी कविता के केंद्र
में नवगीत   

 
 
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