24.3.23

नवगीत : संवादों के सारांश

 



लेखक : अवनीश सिंह चौहान

 



ISBN 978-93-91984-32-8 

Price: Rs. 350.00

pp.: 152


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नवगीत के समर्पित शब्द-साधकों से हुए संवादों पर केंद्रित इस पुस्तक में जिस प्रकार के मौलिक, विविधतापूर्ण एवं समसामयिक विधागत प्रश्न दिए गए हैं, वैसे ही उनके उत्तर हैं। सटीक, सार्थक एवं उपयोगी। कहने का अभिप्राय यह कि भाषा बदलकर प्रश्नों को प्रस्तुत कर या प्रश्नों की पुनरावृत्ति कर नवगीतकारों से संवाद करने की विद्यमान परिपाटी से अलग हटकर इस पुस्तक में बहुआयामी एवं प्रासंगिक प्रश्नोत्तरों को संकलित किया गया है, ताकि विधागत बिंदुओं पर रोचक एवं रचनात्मक संवाद हो सके।

अनुक्रम


सत्यनारायण

शिल्प तो रचना की अपनी विशिष्टता है  


मधुकर अष्ठाना

नवगीत के कथ्य से कई विधाएँ पोषित              


गुलाब सिंह

कविता का अर्थशास्त्र कवि के पक्ष में नहीं               


कुमार रवीन्द्र

फिल्मी गीत की दृष्टि विशुद्ध व्यवसायिक            


मधुसूदन साहा

न्यूनतम शब्दों में अधिकतम अभिव्यक्ति            


मयंक श्रीवास्तव

प्रत्येक लेखक के अपने प्रतिमान होते हैं             


शान्ति सुमन

लय और छंद का अनुशासन आवश्यक               


राम सेंगर

बात ही कविता में खुलती-बोलती है                


नचिकेता

नवगीत की भाषा सहज होनी चाहिए                


वीरेन्द्र आस्तिक

नवगीत, गीत का आधुनिक संस्करण          


रामनारायण रमण

जन-सरोकारों से लैस रचना स्वीकार्य          


बुद्धिनाथ मिश्र

‘फॉर्म’ से ज्यादा ‘कॉन्टेंट’ पर ध्यान          


रामसनेहीलाल शर्मा 'यायावर'

समय की छलनी बड़ी निर्मम है             


ओमप्रकाश सिंह

हिंदी कविता के केंद्र में नवगीत   

 

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